Sunday, February 7, 2010

नारी ब्लॉग जहाँ भी देखा ... दण्डवत मत्था टेका ...प्रायश्चित करने का मन है ...आप बताएं क्या साधन है


- विवेक सिंह
आप बडे ब्लॉगर हो माना हमने जरा देर से जाना
ब्लॉग ब्लॉग विचरण करते थे टिप्पणियाँ अर्पण करते थे
नारी ब्लॉग जहाँ भी देखा हुए दण्डवत मत्था टेका
संकट पुरुषों पर था भारी पर हम पूज रहे थे नारी
स्वकर्तव्य हम निभा पाए अब क्या होता पर पछताए
पश्चाताप अनल है मन में हुआ बोझ सा यह जीवन में
प्रायश्चित करने का मन है आप बताएं क्या साधन है
आशा है माफी पाएंगे
- विवेक सिंह

संदर्भ: चिट्ठाचर्चा
लिंक: http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/02/blog-post_802.html

3 comments:

निर्मला कपिला said...

हा हा हा माफ किया जी शुभकामनायें

वाणी गीत said...

:):)

रानीविशाल said...

Bhadiya Andaaz :)
http://kavyamanjusha.blogspot.com/