
मसिजीवी जी, ताली एक हाथ से नहीं बजती। यह तो वही बात हुई कि कोई हम पर गोलियाँ चलाता रहे और जब हम शस्त्र उठाएँ तो आप हमको अहिंसा का पाठ पढ़ाएँ। ...कोई साहब मजे लेने के लिए और अपने एजेन्डे ...को आगे करने के लिए छद्म नाम का प्रयोग तो किया ...सबसे ज्यादा पंडित बौखलाए हुए हैं ...तुमने चाट के चक्कर में प्रत्यक्षा तक ...पोस्ट ...उड़वा दिया! संस्कृति और नारी सम्मान करते रहते हो? ...प्रत्यक्षा मुसलिम भी नहीं! ...आपके पास तकनीक है लोगों के नाम पते आपकी पहुँच से परे नहीं ...आप इतने क्षीण से आरोप या आलोचना को भी बंद करने का प्रयास करोगे।
संदर्भ: जोगलिखी
लिंक: http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=207
1 comment:
मुझे अचरज इस बात का है की इस कचड़ा ब्लॉग को ब्लोगवाणी जैसे एग्रीगेटर ने आखिर कैसे शामिल किया हुआ है.
लगातार लोग भूल से इधर आ रहे हैं.
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