Wednesday, January 20, 2010
भडकीले “सेक्सी” किस्म की वेशभूषा में कोई स्त्री तशरीफ लाये तो बहुत से पुरुषों की नजर अनायास् उस ओर क्यो उठ जाती है.
- जे सी फिलिप शास्त्री
किसी सभा मे शालीनता से कपडे पहने एक स्त्री के आने पर बहुत कम लोग उसे नोट करते है. यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुषों पर कोई असर नहीं पडता तो क्या आप बता सकते हैं कि उसी सभा में भडकीले “सेक्सी” किस्म की वेशभूषा में कोई स्त्री तशरीफ लाये तो बहुत से पुरुषों की नजर अनायास् उस ओर क्यो उठ जाती है.
यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुषों पर कोई असर नहीं पडता तो क्या आप बता सकते हैं कि उसी सभा में “सेक्सी” किस्म की वेशभूषा में या अधनंगे शरीर के साथ कोई स्त्री तशरीफ लाये तो अधिकतर स्त्रियां क्यों बुरा मान जाती है, एवं क्यों वे उस स्त्री पर बेशरम का ठप्पा लगा देते हैं.
यदि आपको लगता है कि स्त्री की वेशभूषा का पुरुष पर कोई भी असर नहीं होता तो यह आपकी गलतफहमी है.
- जे सी फिलिप शास्त्री
संदर्भ: सारथी
लिंक: http://sarathi.info/archives/1124
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12 comments:
शास्त्री जी ने बिलकुल ठीक कहा है -मगर कहाँ हैं वो इन दिनों ? मैडम की नजर लग गयी उन्हें .ओह !
शास्त्री जी ने बिलकुल ठीक कहा है.....
शास्त्री जी जाने कहाँ नदारद हैं आजकल!
अरे भई स्त्रियाँ सजती किसके लिये हैं, पुरुषों के लिये साधारण वस्त्रों में कोई न देखता हो जिन्हें, वहीं स्त्रियाँ तो भड़कीले वस्त्र पहनती हैं, और कुछ की अपने प्रोफ़ेशन में होने से उनकी मजबूरी होती है। अब भड़काऊ वस्त्र पहनें और पुरुष न देखें तो उनके सजने का सारा अर्थ ही खत्म हो जाता है, बाकी दुनिया बोलती है तो बोलती रहने दो।
अनायास ही शास्त्री जी की अन्य तार्किक पोस्ट्स याद आ गईं
अगर सभी अधनंगे हो और कोई पूरे कपड़ों में आ जाए तब भी सबकी नजरें उस पर होगी.
अगर सभी अधनंगे हो और कोई पूरे कपड़ों में आ जाए तब भी सबकी नजरें उस पर होगी.
मज़ेदार!
संजय जी की बात भी सही है, लेकिन ऐसे मामलों में बेचारे कपड़े वाले के कपड़े फाड़ कर उसे अपनी जमात में शामिल कर लेंगे अधनंगे लोग! जबकि इसके उलट अधनंगे को कोई कपड़े नहीं पहनाना चाहेगा
शास्त्री जी ने सही कहा है। शनीवार को उनके लड़के की शादी है। वे उसी में आजकल व्यस्त हैं।
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औरतों के दाढ़ी-मूछें उग आएं तो..?
ज्योतिष के सच को तार-तार करता एक ज्योतिषाचार्य।
शास्त्री जी ने बिलकुल ठीक कहा है.....
baat to sahi he.
शास्त्री जी से सहमत और विवेक से भी
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