Sunday, January 10, 2010

ब्लॉग लिखने वालो पर क्यूँ बंदिश हो की वो पाठक के हिसाब से अपना ब्लॉग चलाये ????

-रचना

मेरा ब्लॉग मेरा हैं । अब मुझे अपने ब्लॉग पर क्या क्या करना हैं यानि कमेन्ट मोदेरेशन लगाना हैं या नहीं , वर्ड वेरिफिकेशन लगाना हैं या नहीं , कमेन्ट पुब्लिश करना हैं या नहीं ये सब क्या पाठक तय करेगे ??

मेरी चीज़ हैं मेरी अभिव्यक्ति हैं आप ने पढा , आपने टीपा , आप का मन था , आप का कमेन्ट मुझे अच्छा लगा मैने छापा , मेरी बात का विरोध था मैने हटाया इसके लिये क्या मुझे आप की परमिशन लेनी होगी।

जरुरी हैं की हम लिखे एक दुसरे को पढे नाकि एक दूसरे को बच्चा समझ कर समझाने का काम करे । आप ने कमेन्ट दे दिया , उसने डिलीट कर दिया पढा तो होगा ही आप का मकसद क्या था अपनी बात उस तक पहुचना , हो गया पुरा अब सब को नहीं भी दिख रहा तो आप को क्यूँ बैचेनी हैं । क्या कमेन्ट इस लिये करते हैं की पता चले की हमने ये कहा ??

अगर ब्लॉग अग्रीगेटर पर ना हो तो कमेन्ट भी कम ही होगे तो क्या आप पढ़ना बंद कर देगे । सबसे अच्छा तरीका अगर मेरा लिखा आप को ग़लत लगे तो अपने ब्लॉग पर उस पर पूरा लेख बनाए अपनी बात विस्तार से वहाँ कहे कमेन्ट का झंझट ही ख़तम होता है और ब्लॉग लेखन भी आगे जाता हैं ।

ब्लॉग लिखने वालो पर क्यूँ बंदिश हो की वो पाठक के हिसाब से अपना ब्लॉग चलाये ?????

-रचना



संदर्भ: महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर
लिंक: http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2008/11/comment-moderation-and-word.html?showComment=1226393160000#c22153272221500830