-रचना
हिंदी ब्लॉगर कायर हैं और कायर ही रहेगा क्युकी वो एक कायर समाज कि देन हैं जहां सच को झुठलाया जाता हैं , तर्क को कुतर्क कहा जाता हैं जहां बलात्कार को हास्य समझा जाता हैं और टिपानी आलेख पर नहीं व्यक्ति पर होती हैं । सच कहूँ कि अगर आप डरे ना तो आप बहुत एन्जॉय कर सकते हैं । निर्लिप्त हो कर देखिये लोग बिना मुलम्मे के कितने "सुंदर / विभत्स्य " लगते हैं । निर्लिप्त हो कर जो लिखता और टीपता हैं वो दूसरो केअपने ऊपर चीखने और चिल्लाने पर मुस्कुरा सकता हैं । हां ये सब व्यक्तिगत आक्षेप कुछ दिन के हैं । ख़ास कर महिला पर क्युकी जल्दी ही संसद मे बिल पेश हो रहा हैं जहां सेक्सुअल हरासमेंट मानसिक भी मन जायेगा , उसदिन सब हिसाब मै जरुर पूरे करुगी क्युकी डरती नहीं हूँ ना । हर वो पोस्ट जो किसी भी नारी को मानसिक रूप से यंत्रणा देगी वो यौन शोषण मै ही आयेगी , दावा हैं मेरा उस दिन जरुर मान हानि का दावा करने वाले और जेंडर बायस ना जानने वाले भी जान जायेगे ये क्या होता हैं
-रचना
संदर्भ: मानसिक हलचल
लिंक: http://halchal.gyandutt.com/2010/01/blog-post_08.html?showComment=1262941317081#c7313858101059837471
4 comments:
पढ़ ली थी यह टिप्पणी वहीं..हमें लगा कि यहाँ आप इसका विश्लेषण करेंगे.
नारी बन रही है आरी
दूर रहें ऊंगली न छुआएं
ऊंगली जो छुआ दी तो
रक्त निकल जाएगा।
जिसका रक्त निकलेगा
कायर वही कहलायेगा।
जी हां, हिन्दी ब्लॉगर कायर हैं।
अगर उन्हें बहुत कुछ कहा जाता है और उन्हें गुस्सा नहीं आता है तो वे कायर ही हुए।
अगर उन्हें उकसाया जाता है और वे उकसाने में नहीं आते तो वे कायर ही हुए।
कायर समाज में जहां तक मैं समझता हूं सभी नारियां भी सम्मिलित हैं।
बिना नारी के किसी समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
तो इसका अर्थ यह हुआ कि नारी भी कायर हैं।
पर मैं उन्हें कायर नहीं कहूंगा क्योंकि उनमें कायर कहने का हौसला है।
इसलिए अपने स्पष्ट विचार प्रकट कर रहा हूं क्योंकि जब कानून बन जायेगा तब तो अभिव्यक्ति पर अंकुश लग जायेगा और ऐसी टिप्पणी करना भी हिंसा ही कहलायेगा।
चाहे इसमें सच ही बताया गया है। किसी विशेष को लक्ष्य नहीं बनाया गया है।
कुछ कायर है कुछ शायर है
और जो कुछ भी नही है
वो श्रीमान तटस्थ उनके लिये यही कहेन्गे
दे वक्त के मान्झी उनको भी
दो चार झकोले धीरे से
साहिल पे खदे हो करके
जो तूफ़ा का नज़ारा करते है
बचाओ
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