Friday, April 16, 2010

चिठ्ठा चर्चा में शामिल होने के विभिन्न क्राईटेरिया (इससे कई पिछवाड़े सुलग सकते हैं)

- सुरेश चिपलूनकर

आपसे किसने कह दिया कि चि्ठ्ठाचर्चाओं में अच्छे-अच्छे चिठ्ठे शामिल किये जाते हैं? ... अब सुन लीजिये खरी-खरी (हालांकि इससे कई पिछवाड़े सुलग सकते हैं) फ़िर भी आपने विषय छेड़ ही दिया है तो चिठ्ठा चर्चा में शामिल होने के विभिन्न क्राईटेरिया बता देता हूं…

1) अपना चिठ्ठा किसी खूबसूरत महि्ला के नाम और फ़ोटो के साथ बनाईये… तड़ से चर्चा में आयेगा…
2) आपस में दोस्तों का एक गुट बनाकर खुद ही चर्चाकार बन जाईये… एक गुट को दूसरे से भिड़ाते रहि्ये, कोई न कोई बिन्दु निकालकर आलोचना करते रहिये
3) ... ... ...

- सुरेश चिपलूनकर

संदर्भ: कल्पतरू
लिंक: http://kalptaru.blogspot.com/2010/01/blog-post_14.html

9 comments:

Anonymous said...

इससे पता चलता है लोग अपने आप को पढवाने के लिए कितने उतावले रहते है .लोग अपने लिए ब्लॉग लिखते है के चिटठा चर्चा के लिए ? तो क्या चिटठा चर्चा में शामिल ब्लोगों को ही लोग पढेगे ?पहले तो सिर्फ लोग मेल करके ही अपना ब्लॉग पढने को कहते थे अब धमकाते है ओर नाराजगी भरी पोस्ट लिखते है हमें क्यों शामिल नहीं किया ?
किसी भी चिट्ठाकार को अगर आकना है तो उसकी कम से कम दस पोस्ट पढ़िए .उसमे कितना दम है समझ आ जायेगा क्या डालडा को देसी घी कहकर एड करने से वो बिक जाएगा .किसी के कहने से कोई ब्लॉग नहीं पढता है .

M VERMA said...

मैने तो देखा नही कि चिट्ठा चर्चा में शामिल होने से पाठकों की संख्या में कोई परिवर्तन होता है.

Randhir Singh Suman said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

1) वर्मा जी से सहमत…
2) कमोबेश आज भी मैं अपने इस मत पर कायम हूं…

Anonymous said...

आपस में दोस्तों का एक गुट बनाकर खुद ही चर्चाकार बन जाईये…

जैसे आजकल कुछ झाजी-पाजी कर रहे हैं

Anita kumar said...

चिठ्ठाचर्चा को इतना महत्त्व क्युं दिया जाता है क्या वहां आये बिना पाठक नहीं मिलते।

प्रदीप वर्मा said...

पहले तो मैंने भी सोचा कि Suman की ओर से ऐसा क्या लिखा गया कि उन्होंने खुद ही उसे मिटा दिया/

जा कर देखा तो जो लिखा गया था वह था

nice

अब यह शोध का विषय हो सकता है किसी के मरने वाली खबर पर भी nice लिखने वाला ऐसी पोस्ट को nice कहते हुये क्यों कांप गया!!!

हा हा हा

drdhabhai said...

2nice

अजय कुमार झा said...

ओह अनाम जी , ये तो बडी दुविधापूर्ण बात हो गई मैंने तो अभी देखा । नहीं तो पहले ही बताने आता खैर ..झाजी जो चर्चा कर रहे हैं वो गुट बना के नहीं कर रहे ..अकेले ही कर रहे हैं । लाख कोशिश कर ली ..मेरे गुट में कोई शामिल ही नहीं होता । कहता है क्या फ़ायदा ...कोई छोटा गुट तो है नहीं जाने कितने हज़ार ब्लोग्गर हैं ..हिंदी ब्लोग्गिंग में । सब अपने ही गुट के हैं । जल्दी से नामकरण करवा के आप भी शामिल हो जाईये । फ़िर चाहे गलियाते ही रहिएगा ॥


आपकी दोनों ही टिप्पणियां नाईस लगीं मुझे