
तुम लाख दुहाई दो... अवसर आ गया है कि इस बारे मे कुछ कहा जाये... ललित बहुत दिनो से सोच रहा था था कि तुमसे कुछ कहूं...तुम्हारे आपस के झगड़े ने ने छत्तीसगढ मे ब्लागरों को दो गुटों मे बांत दिया है।...तुम्हारी चर्चा का पैमाना बता देता है की तुम लोगों का हिडन एजेंडा क्या है?... बहुत दिनो से देख रहा हूं तुम लोगों का घिनौना खेल...एक दूसरे की पी्ठ थपथपाओ बस्...ऐसी ही घटिया हरकतें ब्लाग जगत को कम्ज़ोर कर रही हैं...दम है तो इस टिपण्णी को पब्लिश्ज करके दिखाना... मुझे तुमहारे षड़यंत्र से नफ़रत है...अपने साथियों को भी बता देना मैने उन्हे पहचान लिया है
- अनिल पुसदकर
संदर्भ: चर्चा हिन्दी चिट्ठों की
लिंक: http://anand.pankajit.com/2010/04/blog-post_07.html
12 comments:
बहुत दिन बाद जागे भाई!! :) मगर मौके पर!!
शर्मा जी ये क्या सुन रहा हूँ मैं ?
कृपया लिखते रहें...
anil pusadakar se ye umeed nahin thi. ye to saraasar kisi kii chamachaagiri kar rahe hain, bechare anil ne chattisdarh ke kaii bloggeron kii peeth mein chhuraa bhonkaa hai. ye patrkar hote hii aise hain. in par vishavas karana bhi nahin chaahiye. jarur kahin mithayee bantee jaa rahi hogee
आदरणिया अनिल पुसदकर जी ऐस कह ही नहीं सकते।यह पका किसी ने शरारत की है। अगर पुसदकर जी खुद यहां आ कर स्वीकार करें कि वे ऐसा कमेंट किये हैं तो मैं मान लूंगा कि ऐसे ओछे विचार उन्हीं के हैं
मामला क्या है भाई
दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय!
मुकाबला तो करना चाहिए था!
मामला तो कुछ समझ में नहीं आया...लेकिन फिर भी जो हुआ, बुरा हुआ।
किस्सा समझ नहीं आ रहा हे।
भाई
आप भी पोडकास्ट इन्टरव्यू के लिये आमंत्रित हैं
ललित भाई के प्रकरण में प्रयास जारी हैं...अभी कुछ नहीं कह सकता...लेकिन हो सकता है आपको जल्दी ही अच्छी खबर मिले...
जय हिंद...
किस्सा समझ नहीं आ रहा हे।
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
Post a Comment