मसिजीवी... व्यक्तिगत आक्षेप या प्रहार को चिट्ठाकारी का स्वाभाविक अंग मानते रहे हैं... मुखौटावाद के तो वह प्रवर्तक ही हैं...मुखौटा धारण करने के संकट से भी वह परेशान... हैं।
स्त्रियों के सशक्तीकरण का ऐसा त्वरित उदाहरण इतिहास में विरल ...कोई स्त्री फ़रवरी07 में ब्लॉग लिखना शुरु करे और मार्च07 में, यानी एक माह के भीतर उसका सशक्तीकरण हो जाए और वह चिट्ठा-चर्चा के दल में शामिल हो जाए और पहली अप्रैल को इस सशक्तीकरण के फ़ल भी मिलने लगें...कम समय में ...वेग से ... नोटपैड जी का सशक्तीकरण हुआ...एक ही प्रतिभाशाली परिवार के एक साथ तीन-तीन सदस्य चिट्ठा जगत के कर्णधारों में शामिल हो जाएं तो इसे प्रतिभा का विस्फोट ही मानना चाहिए...एक-साथ एक ही परिवार के तीन लोगों का शामिल होना संदेह पैदा करता है.... इससे गुटबंदी पैदा होने की भी आशंका..
मसिजीवी की ...भाषाई चौंचलेबाज़ी और अजीबोगरीब शीर्षकों के चटखपन के बावजूद भाषा उनसे सधती नहीं है. बड़े वाक्य उनसे संभलते नहीं हैं. खेत से चलते हैं और खलिहान में पहुंच जाते हैं. जेंडर से उनके संबंध वैसे ही कुछ ठीक नहीं हैं. सीखना वे चाहते नहीं ...अरे! ... मुझे इतना दुख ... है ... कि यही आदमी, अपनी इसी लद्दड़ हिंदी और इसी छिछलेपन के साथ महाविद्यालय में बच्चों को हिंदी पढ़ाता होगा... नोम चौम्स्की और अमर्त्य सेन का नाम लिखने मात्र से बौद्धिक दरिद्रता दूर नहीं होती .
अहं का फूला गुब्बारा मसिजीवी से ऐसे-ऐसे काम करवाता है कि आप देख कर दंग रह जाएंगे… वे एक व्याख्याता (तदर्थ या स्थाई पता नहीं) हैं, पर अपने प्रोफ़ाइल में वे अपने ‘ऑक्यूपेशन’ में लिखते हैं : Prof. ; मान गए ना भाई की छलांग को . रीडर भी नहीं सीधे प्रोफ़ेसर . यह है मसिजीवी की अहमन्यता और यह है उनका चरित्र .
अपने साधारण से लेखों के छपने पर मसिजीवी-परिवार गोलबंद होकर ... हुआ-हुआ के ऐसे कोलाहल से भर देने की क्षमता रखता है कि मुर्दे भी उठ खड़े हों.
मसिजीवी ने चेतावनी दी है कि वे और अधिक मज़बूत किले पर चढ़कर हमला बोलेंगे. सामंती संस्कार इसी तरह बाहर आते हैं.
“…भाषा इससे भी ज्यादा अश्लील होगी” कह कर मसिजीवी ने अश्लील भाषा के प्रयोग की भी धमकी दी है. मुझे कोई आश्चर्य नहीं है मसिजीवी जी . जब आपके पास तर्क नहीं होंगे तो आपको अश्लीलता के उस स्तर पर भी उतरना ही होगा
मसिजीवी ने चेतावनी दी है कि वे और अधिक मज़बूत किले पर चढ़कर हमला बोलेंगे. सामंती संस्कार इसी तरह बाहर आते हैं.
“…भाषा इससे भी ज्यादा अश्लील होगी” कह कर मसिजीवी ने अश्लील भाषा के प्रयोग की भी धमकी दी है. मुझे कोई आश्चर्य नहीं है मसिजीवी जी . जब आपके पास तर्क नहीं होंगे तो आपको अश्लीलता के उस स्तर पर भी उतरना ही होगा
(पोस्ट और कमेंट से ली गई आगे पीछे हो गई कुछ लाईने)
संदर्भ: समकाल
लिंक: http://samakaal.wordpress.com/2007/05/08/hasanjamal-2/
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$$$ बहुत लम्बी पोस्ट और बडे बडे कमेंट है उस समकाल वाली पोस्ट पर, टाइम होने पर ही पढना चाहिये $$$
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एक डिस्क्लेमर लगाने की जरूरत भी आ पड़ी है कि
इस पोस्ट में ली गई लाईने और बताई हयी पोस्ट इसके प्रकाशित होते तक मौजूद हैं। यदि उन्हे हटा दिया जाता है तो मुझे न लताड़ें :-)
4 comments:
बातें जोरदार हैं !
शुक्रिया !
लगता है परिवार के तीनों लोगो ने इसे नापस्न्द कर दिया है
ओह!
यहाँ तो बहुत कुछ हो चुका है!
बी एस पाबला
हा हा हा जब भी इस उंगली वाले ब्लोग पर आता हूं तो पता चलता है कि .....लंका कांड तो कब का हो लिया ....और आज कल जो हो रहा है ..भैय्या ये तो ..बाल कांड है ..जय हो जय हो ...प्रभु आप कौन पाताल से पधारे हो ....अमां कौन दुनिया से ये सब खोद के ला रहे हो यार ...
अजय कुमार झा
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