- नीलिमा
यह विवाद-भूमि हमें प्राणों से भी प्यारी है जब से हम इस विवाद रस को टेस्ट किए हैं घर –पडोस- दफ्तर के रगडे- झगडे बेमजा लगने लगे हैं। … यहां कइयों की पीठ में खुजली उठती है कइयों उसे खुजाते हैं ,कइयों के हाथ की अंगुलियों में चरपरी खुजली होती है , कोई गुप्त पीडा का सार्वजनिक प्रदर्शन करता है --एक से एक यूनीक पीस ! ;)
... सबकी अपनी डफ्ली अपना-अपना राग और तो और किसी की अपनी डफली फटी हुई है तो किसी आन की डफली पे दो - दो हाथ मारने की उतावली में हांफ रहा है ! ...
... छोडें जनाब चिट्ठाकारी का लुत्फ हो या अपने भाई बंदों की पोस्टों को आपरेशन टेबल पर लिटाकर उनकी चीराफाडी का मजा हो या विवादों की चिंगारियों को हवा देने का भीतरी सुख हो – चिट्ठाजगत में आए हैं तो इनके लिए ही तो !
- नीलिमा
संदर्भ: आँख की किरकिरी
लिंक: http://vadsamvad.blogspot.com/2007/04/blog-post.html
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