- अनूप शुक्ल
मेरा यह पक्का मानना है कि आपने ... यह टिप्पणी करके उसे वह लिखने के लिये मौका सुलभ कराया , उसे बहाना दिया ताकि आपको वह इस अशोभन तरीके से संबोधित करने का बहाना तलाश सके। कोई नयी ब्लागर होतीं तो बात समझी जा सकती थी लेकिन आप अच्छी तरह उसकी हरकतों से परिचित हैं इसके बावजूद... यह आशा करना कि आपके इस सनसनी व्बायवाले कमेंट पर कोई आदर सूचक संबोधन से मन को खुश कर देने वाली बात करेगा खाम ख्याली है... सीधी बात को आप अपनी मर्जी के अनुसार समझ कर मुझे सामंतवादी, पुरुषवादी और जो समझ हो आपकी उस उपमा से नवाजें तो यह आपकी अपनी समझ है। ...अपने मनचाहे तर्क को पुरुषवादी/सामंतवादी बताकर सही साबित कर देना कौन सा वाद है ! इस पर भी कभी आपके मुंहतोड़ जबाब पर शाबासी देने वाली सहेलियां कभी विचार करें।
- अनूप शुक्ल
संदर्भ: चोखेर बाली
लिंक: http://vadsamvad.blogspot.com/2008/05/blog-post.html
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nice
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