Friday, January 15, 2010

अनूप जी ब्लागरी के बाप बनने का प्रयास अब बन्द ही कर दें वैसे सुकुल जी कै करने के लिए मुंह ही फ़ाडना पडता है

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- नीलिमा

बड़े अफसर हैं अनूप, ब्‍लॉगर भी बड़े हैं उनके बड़े अफसर मित्र ज्ञानदत्‍त पांडेय- सुबह सुबह जब बीबीयॉं इन साहब लोगों के दफ्तर जाने का इंतजाम कर ही होती हैं तो एक अफसर लिखता है दूसरा वाह वाह करता है- इससे कब्जियत दूर रहती है- पेट साफ रहता है। किसी वजह से एक समय से लिख नहीं पाया ... तो दूसरे ने अपनी कब्जियत निकालने के लिए किसी और पर निशाना साधा...

तब तक दूसरे साहब भी आ गए ओर उन्‍होने भी अपना पेट साफ किया और अफसरी समरसता का कर्तव्‍य निबाहा... - यूँ भी एक बकबक करती औरत को चुप कराने का काम पुण्य ही है...

तो जानें कि गोले बनाने के कारखाने के इन बड़े अफसर की पुलक और इन छोटे-मोटे पत्रकारों की भड़ास में क्‍या संबंध है...

...बड़े ब्‍लॉगर उस पर भी अफसर वे ईमानदार भला क्‍योंकर होंगे, मर्द हैं तो इसमें उनका क्‍या दोष- वे पहले तो किसी और मर्द से कोई अनबन लेते हैं- होती रहती है इसमें कुछ भी खास नहीं पर जब तिलमिलाहट होती है तो फिर वही करते हैं जो कबीलाई समाज से आज तक मर्द करता रहा है इस मर्द की 'मातहत' औरत को खोजो और उससे बदला लो। पहले साथ के 'मौज' लेने के लिए राजी यार इकट्ठे करो और फिर मजा चखाएंगे...

...जिनकी बीबीयॉं चौके में होती हैं और मर्द मौज मजे के लिए शिकार या वेश्‍यालय जाने में असमर्थ होने के कारण इंटरनेट पर जाते हैं, इसलिए जिसकी बीबी ब्लॉगिंग भी साथ कर रही उसे तो नुकसान ही नुकसान है...

- नीलिमा
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अनूप जी आपके पीछे भी स्त्री शक्ति ,मात शक्ति पड गयी ,क्यो ? कैसा लगा ?अब मठाधीश बनने की कोशिश करोगे तो धराशायी तो होगे ही ।ब्लागरी के बाप बनने का प्रयास अब बन्द ही कर दें तो अच्छा है ।आपकी छोटी समझ का परिचय आप कुछ दिन से अपनी टिप्पणियों में वैसे भी दे रहे हो ।
वैसे सुकुल जी
कै करने के लिए मुंह ही फ़ाडना पडता है जो आप बडा अच्छा फ़ाड सकते हो ।

संदर्भ: आँख की किरकिरी
लिंक: http://vadsamvad.blogspot.com/2007/08/blog-post_10.html

इसी लिंक में आप पढ़ सकते हैं:
नीलिमा: जिनकी बीबीयॉं चौके में होती हैं उनके मर्द मौज मजे के लिए शिकार या वेश्‍यालय जाने में असमर्थ होने के कारण इंटरनेट पर जाते हैं
-अनूप शुक्ला said.. मैंने आपके परिवार संबंधित अंश अपने ब्लाग से निकाल दिये हैं। मैं अपने लिखे पर अफ़सोस व्यक्त करता हूं। आपको जो मानसिक कष्ट पहुंचा, उसके लिये क्षमा मांगता हूं। हो सके तो माफ़ करियेगा।
नीलिमा: अनूप जी धन्यवाद ! माफी की बात गैरजरूरी है क्योंकि आप बात समझना नहीं चाह रहे !

8 comments:

समयचक्र said...

निसंदेह शर्मनाक बात है .. किसको क्या कहें ......?

राजेश स्वार्थी said...

इनके नाम से ही अब घिन आने लगी है। रोज एक नया कारनामा उजागर होता है और ये रोज अपने चेले चपातों के साथ एक नये कारनामे को अंजाम देने में लगे रहते हैं।

Anonymous said...


अरे महाराज़, हमसे क्या भूल हुई.. जो हम्मैं अब तक ना घसीटा ।
इस दास मलूका को भी मालूम रहना चाहिये कि वह कहाँ गलत है, है कि नहीं ?
बकिया, अनूप जी पर हम कुछ न बोलेंगे, काहे से कि .. ..
उनका घर हमारे बगल में पड़ता है !

Anonymous said...


वर्ड वेरीफ़िकेशन हटाय लेयो भाई वर्मा जी !

स्वप्न मञ्जूषा said...

ई अनूप जी हैं कौन ??
इनका ब्लोग्वा का एड्रेस काहे नहीं दिए हैं...

Anonymous said...

ऐसे गंदे लोग इस दुनिया में भी घुस आये हैं? शर्मनाक. अफसरशाही का नशा है.

प्रियंकेश

prinyankesh_sharma@yahoo.com

Arvind Mishra said...

हा हा हा खूब मजा आया ......यह नयी सोच का ब्लॉग है और यहाँ अगियाबैताल संवादों का जखीरा है ,,,
बहुत खूब मैडम !

36solutions said...

........ औरत को खोजो और उससे बदला लो। पहले साथ के 'मौज' लेने के लिए राजी यार इकट्ठे करो और फिर मजा चखाएंगे...

चन्द्र धर शर्मा जी को नमस्कार.