Wednesday, December 1, 2010

रचना को इस तरह से खुले में छोड देने से


- सारथी

हरेक को याद दिलाना चाहता हूँ. ...उनकी शर्तें एकदम उदार हैं... उनका तर्क यह है कि ... रचना को इस तरह से खुले में छोड देने से “विचार आगे बढते हैं”.

- सारथी

सन्दर्भ: सारथी
लिंक: http://sarathi.info/archives/2565

3 comments:

बाल भवन जबलपुर said...

ये क्या है भाई..?

अविनाश वाचस्पति said...

माननीय शास्‍त्री जी, मैं भी इसी नीति का कायल हूं और यही अपना रहा हूं कि रचना को खुले में छोड़ देने से विचार आगे बढ़ते हैं और इसी के तहत मेरे किसी ब्‍लॉग पर कॉपीलॉक नहीं लगाया गया है बल्कि कहा गया है कि यहां प्रकाशित सामग्री को संदर्भ सहित वा रहित कहीं भी प्रकाशित/प्रचारित कर सकते हैं। क्रिएटिव कॉमन एक अच्‍छी सोच है, हिन्‍दी ब्‍लॉगजगत को इसका अवश्‍य अनुपालन करना चाहिए। सुरेश जी से वर्धा सेमिनार में मिलना बहुत अच्‍छा लगा, आपसे भी मिलना चाहता हूं, कहां और कैसे मिल सकता हूं।
दिल्ली में मिले दिल वालों से..१३ नवम्बर, २०१०
यह टिप्‍पणी मैंने सारथी पर देने की कोशिश की परंतु सफल नहीं हो पाया हूं। आप इसे अवश्‍य लगा दीजिएगा। आजकल गोवा में हूं और मोबाइल से नेटबुक पर नेट से संपर्क में हूं।

Arvind Mishra said...

मेरा तो बंद रखने पर ज्यादा बढ़ते हैं ..खुल गया तो फिर कल्पनाशीलता के लिए बचा ही क्या ?