
हिंदी ब्लॉगिंग पर नजर रखने वाले जानते हैं ... ब्लॉगजगत के हर तकलीफ देने वाले तर्क वैध नहीं हैं ... गोले बनाने के कारखाने के इन बड़े अफसर की पुलक ... 'मौज' लेने के लिए राजी यार इकट्ठे करो और फिर मजा चखाएंगे ... बुजुर्ग ज्ञानदत्त-- 'संभाल अपनी औरत को नहीं तो ...
संदर्भ: आँख की किरकिरी
लिंक: http://vadsamvad.blogspot.com/2007/08/blog-post_10.html
5 comments:
नए/ पुराने ब्लॉगरों के लिए:
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि मिथिलेश जैसा युवक ऐसी भाषा का प्रयोग क्यों कर रहा?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि आशीष खंडेलवाल जैसे लोकप्रिय ब्लॉगर ने अपने ब्लॉग पर ट्रिक्स-टिप्स लिखना क्यों छोड़ दिया?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि मुझ जैसे स्वभाव वाले की जबान पर कड़वाहट क्यों आ जाती है?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि पिछले दिनों से समीर लाल की 'हिन्दी सेवा' पर कटाक्ष, लगातार क्यों तीव्र होते जा रहे हैं?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि विवाद की शुरूआत कौन करता है?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि किसी भी विवाद को खड़ा करने वाला ब्लॉगरी में कितना समय बिता चुका?
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि परिणामों के बारे में सोचना भी चाहिए
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि क्यों कुछ करने का ठेका वही ले जिसे निशाना बनाया गया
> क्या 'किसी' ने यह सोचने की जहमत उठाई है कि ...
मामला क्या है हमें भी तो कोई बताए
ये ज्ञानदद और अनुप शुक्ला ही सारी गंदगी की जड़ है। सारे ब्लागर इनका बायकाट करे तभी कुछ हो सकता है। वैसे अनुप शुक्ला का एक चमचा सतीश सक्सेना दलाली करने का आरोप लगते ही मौन व्रत रखने जा रहा हूं कहकर विदेश भाग रहा है। उसका पासपोर्ट जब्त किया जाए। यह सब लोग समाज के दुश्मन है। इन्हें कड़ी सी कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
हिन्दी ब्लाग जगत को 10 साल पीछे धकेलने वाले इन दुश्मनों के पीछे आपकी ऊंगली जायज है। मैं तो कहता हूं ऊंगली नहीं हाथ डाल दो और आंते बाहर निकालकर ले आओ।
समीर लाल के ब्लाग पर अनुप शुक्ला ने कहा है कि समीरलाल लुच्चों-लफंगों का साथ देते हैं। मैं कहता हूं कि अनुप शुक्ला के चमचे कौन से सीधे हैं। वे तो उनके इशारों पर काम करते हैं। अब सतीश सक्सेना को लो.. जब एक ब्लागर ने उनकी दलाली की पोल खोल दी तो वह विदेश भाग रहा है। कई जगह से जूते पड़ने के बाद शुक्ला के चमचे भी लहंगा ओढ़कर सो गए हैं।
Post a Comment